एक तस्वीर खींच दी गोया By Qita << फ़ज़ा है नूर की बारिश से ... एक सब्र-आज़मा जुदाई है >> एक तस्वीर खींच दी गोया कैफ़-ए-सहबा-ए-अर्ग़वानी की क्यूँ न मस्ती छलक पड़े रुख़ से नींद और नींद भी जवानी की Share on: