फिर बजे मेरे ख़यालों में सुनहरे कंगन By Qita << रंग-अफ़्शाँ हो जिस तरह उम... रात है बरसात है मस्जिद मे... >> फिर बजे मेरे ख़यालों में सुनहरे कंगन भूले-बिसरे हुए लम्हात मुझे याद आए ईद के रोज़ किसी ने भी दुआ जब माँगी दो हसीं मेहंदी लगे हात मुझे याद आए Share on: