रात है बरसात है मस्जिद में रौशन है चराग़ By Qita << फिर बजे मेरे ख़यालों में ... न समझा गया अब्र क्या देख ... >> रात है बरसात है मस्जिद में रौशन है चराग़ पड़ रही है रौशनी भीगी हुई दीवार पर जैसे इक बेवा के आँसू डूबते सूरज के वक़्त थम गए हों बहते बहते चम्पई रुख़्सार पर Share on: