गले लगाए मुझे मेरा राज़-दाँ हो जाए By उदासी, Qita << मैं इस कहानी में तरमीम कर... ऐ ख़ुदा एक बार मिल मुझ से >> गले लगाए मुझे मेरा राज़-दाँ हो जाए किसी तरह ये शजर मुझ पे मेहरबाँ हो जाए इसी लिए तो उदासी से गुफ़्तुगू नहीं की कहीं वो बात न बातों के दरमियाँ हो जाए Share on: