मैं इस कहानी में तरमीम कर के लाया हूँ By जब्र, Qita << रोज़ इक बाग़ गुज़रता है इ... गले लगाए मुझे मेरा राज़-द... >> मैं इस कहानी में तरमीम कर के लाया हूँ जो तुम को पहले सुनाई थी मुस्तरद समझो मुझे ख़ुदा से नहीं है कोई गिला लेकिन तुम आदमी हो तो फिर आदमी की हद समझो Share on: