गर्द-ए-नफ़रत से बचा लेता हूँ दामन अपना By Qita << नक़्श तीखे बाँकी चितवन दा... जिन को इस वक़्त में इस्ला... >> गर्द-ए-नफ़रत से बचा लेता हूँ दामन अपना में मोहब्बत का पुजारी हूँ मसर्रत का नदीम लाला-ओ-गुल का किया करती है गुलशन में तवाफ़ फिर भी काँटों से उलझता नहीं दामान-ए-नसीम Share on: