गाएँ डकराती हुई पगडंडियों पर आ गईं By Qita << लाख हों हम में प्यार की ब... न उन का ज़ेहन साफ़ है न म... >> गाएँ डकराती हुई पगडंडियों पर आ गईं मुरलियाँ हाथों में ले कर मस्त चरवाहे बढ़े बैरियों के धुँदले सायों में खड़ा हूँ मुंतज़िर एक लड़की को गुज़रना है यहाँ से दिन-चढ़े Share on: