गिरी है बर्फ़ चमकते सियाह बालों पर Admin गलती की शायरी, Qita << जिस्म का रख-रखाव जारी रहे हमारी बातें ही बातें हैं ... >> गिरी है बर्फ़ चमकते सियाह बालों पर बला की ज़र्दी है सुर्ख़-ओ-सफ़ेद गालों पर बुझी है आग जो चेहरे की जगमगाती थी पड़ी है ओस जवानी के माह सालों पर Share on: