गोरे हाथों में ये धानी चूड़ियों की आन-बान By Qita << बोझ इतना भर गई थी रूह-ए-स... वक़्त की सई-ए-मुसलसल कारग... >> गोरे हाथों में ये धानी चूड़ियों की आन-बान काली ज़ुल्फ़ों पर गुलाबी ओढ़नी की आब-ओ-ताब हर क़दम पर नुक़रई ख़लख़ाल के नग़्मों की लहर तेरे पैकर में मुजस्सम हो गई रूह-ए-शबाब Share on: