गुलों में रंग तो था रंग में जलन तो न थी By Qita << फ़लक ना-मेहरबाँ है मिल रह... ज़िंदगी साज़ दे रही है मु... >> गुलों में रंग तो था रंग में जलन तो न थी महक में कैफ़ तो था कैफ़ में जुनूँ तो न था बदल दिया तिरे ग़म ने बहार का किरदार कि अब से क़ब्ल चमन का मिज़ाज यूँ तो न था Share on: