हाए ये तेरे हिज्र का आलम By Qita << सो गए अंजुम-ए-शब याद न आ जिन को मल्लाह छोड़ जाते ह... >> हाए ये तेरे हिज्र का आलम किस क़दर ज़र्द है हसीं महताब और ये मस्त आबशार की लै कोई रोता हो जैसे पी के शराब Share on: