हाल का लम्हा लम्हा छलनी है By Qita << जाँ बेचने को आए तो बे-दाम... मेरी फ़िक्र-ओ-नज़र के चेह... >> हाल का लम्हा लम्हा छलनी है वक़्त को राह से हटाता हूँ देखो शायद पलट के तुम मुझ को लो मैं माज़ी में लौट जाता हूँ Share on: