हर ख़ाक के पुतले को उभारा है फ़लक ने By Qita << हर-चंद कि है मिस का लैवंड... ग़रीब-ख़ाने में लिल्लाह द... >> हर ख़ाक के पुतले को उभारा है फ़लक ने यकताई के इज़हार में मस्त अहल-ए-ज़मीं हैं हर इक को ये दावा है कि हम भी हैं कोई चीज़ और हम को है ये नाज़ कि हम कुछ भी नहीं हैं Share on: