ग़रीब-ख़ाने में लिल्लाह दो-घड़ी बैठो By Qita << हर ख़ाक के पुतले को उभारा... फ़ना के सामने हम क्या हमा... >> ग़रीब-ख़ाने में लिल्लाह दो-घड़ी बैठो बहुत दिनों में तुम आए हो इस गली की तरफ़ ज़रा सी देर जो हो जाएगी तो क्या होगा घड़ी घड़ी न उठाओ नज़र घड़ी की तरफ़ जो घर में पूछे कोई ख़ौफ़ क्या है कह देना चले गए थे टहलते हुए किसी की तरफ़ Share on: