इस ग़म-ओ-यास के समुंदर में By Qita << चुपके चुपके जहाँ बसा लेता रहा बरसात में ऐ शैख़ मैं ... >> इस ग़म-ओ-यास के समुंदर में कोई आसूदगी की लहर नहीं ज़िंदगी हिचकियों की नगरी है ज़िंदगी क़हक़हों का शहर नहीं Share on: