इश्क़ की इब्तिदा है सोज़-ए-दरूँ By Qita << जवानी के ज़माने याद आए इल्म के थे बहुत हिजाब मगर >> इश्क़ की इब्तिदा है सोज़-ए-दरूँ इश्क़ की इंतिहा है ज़ौक़-ए-निगाह दिल अगर सर्द है तो इश्क़ जुनूँ और अगर पस्त है नज़र तो गुनाह Share on: