इल्म के थे बहुत हिजाब मगर By Qita << इश्क़ की इब्तिदा है सोज़-... हर ख़िज़ाँ ग़ारत-गर-ए-चमन... >> इल्म के थे बहुत हिजाब मगर हुस्न का सेहर पुर-फ़ुसूँ ही रहा अक़्ल ने लाख की इनाँ-गीरी इश्क़ आमादा-ए-जुनूँ ही रहा Share on: