ज़िक्र-ए-मिर्रीख़-ओ-मुश्तरी के साथ By Qita << ये ख़ूँ की महक है कि लब-ए... उरूस-ए-सुब्ह ने ली है मचल... >> ज़िक्र-ए-मिर्रीख़-ओ-मुशतरी के साथ अपनी धरती की बात भी तो करो मौत का एहतिराम बर-हक़ है एहतिराम-ए-हयात भी तो करो Share on: