ये ख़ूँ की महक है कि लब-ए-यार की ख़ुशबू By Qita << सारे आलम में ये उड़ता हुआ... ज़िक्र-ए-मिर्रीख़-ओ-मुश्त... >> ये ख़ूँ की महक है कि लब-ए-यार की ख़ुशबू किस राह की जानिब से सबा आती है देखो गुलशन में बहार आई कि ज़िंदाँ हुआ आबाद किस सम्त से नग़्मों की सदा आती है देखो Share on: