ख़ूब है इक शाइ'र-ए-शीरीं-सुख़न Admin जुदाई शायरी हिन्दी मे, Qita << रात ढलनी है दिन निकलना है नई तहज़ीब में भी मज़हबी त... >> ख़ूब है इक शाइ'र-ए-शीरीं-सुख़न ख़ूब है फ़नकार का भी इल्म-ओ-फ़न ख़ूब-तर वो शख़्स है जो ला सका ग़म-ज़दों में ज़िंदगी की एक किरन Share on: