जिस्म-ए-शफ़्फ़ाफ़ में शोला सा रवाँ हो जैसे By Qita << बिजली अता हुई है मिरे दिल की सल... >> जिस्म-ए-शफ़्फ़ाफ़ में शोला सा रवाँ हो जैसे खिलखिलाहट में भी आवाज़-ए-सिनाँ हो जैसे तीर चलते हुए देखूँ तो बचाऊँ दिल को उफ़ वो अंगड़ाई कि अर्जुन की कमाँ हो जैसे Share on: