जो महकता है बू-ए-उर्दू से Admin उर्दू शायरी लव, Qita << क्या कभी उस से मुलाक़ात ह... जिन्हें ज़मीर की दौलत ख़ु... >> जो महकता है बू-ए-उर्दू से उस गुलिस्ताँ का अंदलीब हूँ मैं है मिरे पास दर्द की दौलत ऐ ज़माने कहाँ ग़रीब हूँ मैं Share on: