जो सफ़र भी था ज़िंदगानी का By Qita << कितनी हंगामा-ख़ू तमन्नाएँ जवानी के ज़माने याद आए >> जो सफ़र भी था ज़िंदगानी का यूँही बे-रस्म-ओ-राह हम ने किया ख़ुद गुनाहों को शर्म आई है ऐसा ऐसा गुनाह हम ने किया Share on: