कितनी हंगामा-ख़ू तमन्नाएँ By Qita << लहू फ़क़ीरों का सोज़-ए-यक... जो सफ़र भी था ज़िंदगानी क... >> कितनी हंगामा-ख़ू तमन्नाएँ मुज़्महिल हो के रह गईं दिल में जैसे तूफ़ाँ की मुज़्तरिब मौजें सो गई हों कनार-ए-साहिल में Share on: