सुकूँ-पसंद जो दीवानगी मिरी होती By Qita << कैफ़ पर भी है कैफ़ का आलम कभी न पलटेगी बीती हुई घड़... >> सुकूँ-पसंद जो दीवानगी मिरी होती ख़बर किसी को न अंजाम इश्क़ की होती ग़लत बताते हो नासेह जो मेरी फ़रियादें ख़ता-मुआफ़ मोहब्बत किसी से की होती Share on: