कहीं अबीर की ख़ुश्बू कहीं गुलाल का रंग By होली, Qita << कुछ इस लिए भी उसे टूट कर ... प्यास की पैदाइश तो कल का ... >> कहीं अबीर की ख़ुश्बू कहीं गुलाल का रंग कहीं पे शर्म से सिमटे हुए जमाल का रंग चले भी आओ भुला कर सभी गिले-शिकवे बरसना चाहिए होली के दिन विसाल का रंग Share on: