ख़ादिम-ए-उर्दू-ज़बाँ हूँ शाएरी मकतब मिरा By उर्दू, Qita << चैट बुझ गया तेरी मोहब्बत का श... >> ख़ादिम-ए-उर्दू-ज़बाँ हूँ शाएरी मकतब मिरा और भी रिश्ते हैं लेकिन दोस्ती मज़हब मिरा लखनऊ मेरा वतन है बम्बई मेरा नसीब 'तर्ज़' कहते हैं मुझे सब, मय-कशी मशरब मिरा Share on: