बुझ गया तेरी मोहब्बत का शरारा तो क्या By Qita << ख़ादिम-ए-उर्दू-ज़बाँ हूँ ... आज तंहाई किसी हमदम-ए-देरी... >> बुझ गया तेरी मोहब्बत का शरारा तो क्या डूबते देखे हैं गर्दूं के सितारे मैं ने सर्द होते हुए दिल बर्फ़ की क़ाशों की तरह मुंजमिद होते हुए देखे हैं धारे में ने Share on: