ख़ूँ-भरे जाम उंडेलता हूँ मैं By दर्द, शेर, Qita << किस क़यामत के लम्हे थे &#... कर दिया हाफ़िज़े में हश्र... >> ख़ूँ-भरे जाम उंडेलता हूँ मैं टीस और दर्द झेलता हूँ मैं तुम समझते हो शेर कहता हूँ अपने ज़ख़्मों से खेलता हूँ मैं Share on: