खिले जो एक दरीचे में आज हुस्न के फूल By Qita << जाने वाले हमारी महफ़िल से हम जो काफ़िर हैं सब की नज... >> खिले जो एक दरीचे में आज हुस्न के फूल तो सुब्ह झूम के गुलज़ार हो गई यक-सर जहाँ कहीं भी गिरा नूर उन निगाहों से हर एक चीज़ तरह-दार हो गई यक-सर Share on: