कितनी मासूम हैं तिरी आँखें By Qita << न समझा गया अब्र क्या देख ... कितनी सदियों से अज़्मत-ए-... >> कितनी मासूम हैं तिरी आँखें बैठ जा मेरे रू-ब-रू मिरे पास एक लम्हे को भूल जाने दे अपने इक इक गुनाह का एहसास Share on: