माँ की आग़ोश में हँसता हुआ इक तिफ़्ल-ए-जमील By Qita << पर लगा कर उड़ेगा नाम तिरा वहशत-ए-दिल ने काँच के टुक... >> माँ की आग़ोश में हँसता हुआ इक तिफ़्ल-ए-जमील जिस तरह ज़ेहन-ए-अज़ल में हो अबद की तख़ईल देख लें वो जो समझते हैं कि फ़ानी है हयात ज़िंदगानी के तरब-नाक तसलसुल की दलील Share on: