मैं ने इस दश्त की वुसअत में शबिस्ताँ पाए By Qita << मेरी ग़मगीन ओ ज़र्द सूरत ... उस के और अपने दरमियान में... >> मैं ने इस दश्त की वुसअत में शबिस्ताँ पाए इस के टीलों पे मुझे क़स्र नज़र आए हैं इन बबूलों में किसी साज़ के पर्दे लरज़े इन खुजूरों पे मिरे राज़ उभर आए हैं Share on: