मिरा मन है शहर-ए-गोकुल की तरह से साफ़-सुथरा Admin सरस्वती पूजा शायरी, Qita << मिरे टूटे हुए दिल की सदा ... खुलती हैं वो मस्त आँखें ह... >> मिरा मन है शहर-ए-गोकुल की तरह से साफ़-सुथरा मिरी साँस ऐसी जैसे कोई बाँसुरी बजाए मिरी एक आँख गंगा मिरी एक आँख जमुना मिरा दिल ख़ुद एक संगम जिसे पूजना हो आए Share on: