मिरी शबीह है मसरूर-ओ-शादमाँ अब भी Admin मज़ाक पर शायरी, Qita << वाह रे सय्यद-ए-पाकीज़ा-गु... उलझा हुआ है चंदा-ओ-स्कूल ... >> मिरी शबीह है मसरूर-ओ-शादमाँ अब भी मिरा मज़ाक़ उड़ाती है बे-गुमाँ अब भी वही है दिलकशी अब भी वही है रानाई शगुफ़्ता लब हैं तबस्सुम में गुल-फ़िशाँ अब भी Share on: