वाह रे सय्यद-ए-पाकीज़ा-गुहर क्या कहना Admin पाकीजा शायरी, Qita << पर्दा-ए-माज़ी पे सूरत जो ... मिरी शबीह है मसरूर-ओ-शादम... >> वाह रे सय्यद-ए-पाकीज़ा-गुहर क्या कहना ये दिमाग़ और हकीमाना नज़र क्या कहना क़ौम के इश्क़ में पुर-सोज़-ए-जिगर क्या कहना एक ही धुन में हुई उम्र बसर क्या कहना Share on: