मुद्दतों कोर-निगाही दिल की By Qita << हम-नशीं उफ़ इख़्तिताम-ए-ब... हर-चंद गदा हूँ मैं तिरे इ... >> मुद्दतों कोर-निगाही दिल की नूर-ए-इरफ़ाँ को तरसती रहती तू जो ख़ुर्शीद न बन कर आती ज़ेहन पर ओस बरसती रहती Share on: