मुमकिन है फ़ज़ाओं से ख़लाओं के जहाँ तक By Qita << रूह की आँच में उबाला है ये तेरे ख़त तिरी ख़ुशबू य... >> मुमकिन है फ़ज़ाओं से ख़लाओं के जहाँ तक जो कुछ भी हो आदम का निशान-ए-कफ़-ए-पा हो मुमकिन है कि जन्नत की बुलंदी से उतर कर इंसान की अज़्मत में इज़ाफ़ा ही हुआ हो Share on: