नसीम-ए-सुब्ह-ए-तसव्वुर ये किस तरफ़ से चली By तसव्वुर, Qita << सो रही है गुलों के बिस्तर... तमाम शब दिल-ए-वहशी तलाश क... >> नसीम-ए-सुब्ह-ए-तसव्वुर ये किस तरफ़ से चली कि मेरे दिल में चमन दरकिनार आती है कहीं मिले तो मिरे गुल-बदन से कह देना तिरे ख़याल से बू-ए-बहार आती है Share on: