ओस में भीगी हुई तन्हाइयों के जिस्म से By Qita << फिर किसी बात का ख़याल आया पढ़ रही हैं रात की ख़ामोश... >> ओस में भीगी हुई तन्हाइयों के जिस्म से आ रही है तेरे पैराहन की ख़ुशबू इस तरह नर्म ख़्वाबों के शबिस्तानों में लहराती हुई गुनगुनाए रात की अल्हड़ जवानी जिस तरह Share on: