पर-फ़िशाँ है थका थका सा ख़याल By Qita << शर्म दहशत झिझक परेशानी न अहल-ए-मय-कदा ने मुस्कुर... >> पर-फ़िशाँ है थका थका सा ख़याल बे-कराँ वुसअतों के घेरे में जैसे इक फ़ाख़्ता हो गर्म-ए-सफ़र शाम के मल्गजे अँधेरे में Share on: