न अहल-ए-मय-कदा ने मुस्कुरा कर बात की हम से By Qita << पर-फ़िशाँ है थका थका सा ख... मुफ़्लिसी के वक़्त अक्सर ... >> न अहल-ए-मय-कदा ने मुस्कुरा कर बात की हम से न तेरी ही जबीं से बे-रुख़ी के बल गए साक़ी अगरचे बज़्म में सहबा भी थी मीना भी थी लेकिन ख़ुद अपनी तिश्नगी की आग में हम जल गए साक़ी Share on: