फूलों की सेज पर से जो बे-दिमाग़ उठ्ठे By Qita << रो रहा था गोद में अम्माँ ... ना-मुरादी के ब'अद बे-... >> फूलों की सेज पर से जो बे-दिमाग़ उठ्ठे मसनद पे नाज़ की जो तेवरी चढ़ा के बैठे क्या ग़म उसे ज़मीं पर बेबर्ग-ओ-साज़ कोई ख़ार-ओ-ख़सक ही क्यूँ न बरसों बिछा के बैठे Share on: