रो रहा था गोद में अम्माँ की इक तिफ़्ल-ए-हसीं By Qita << सनसनाती हुई हवा की तरह फूलों की सेज पर से जो बे-... >> रो रहा था गोद में अम्माँ की इक तिफ़्ल-ए-हसीं इस तरह पलकों पे आँसू हो रहे थे बे-क़रार जैसे दीवाली की शब हल्की हवा के सामने गाँव की नीची मुंडेरों पर चराग़ों की क़तार Share on: