पी गया ज़हर-ए-हवादिस कोई चुपके चुपके By Qita << ये तो हैं चंद ही जल्वे जो... लोग रखते हैं तसव्वुर से अ... >> पी गया ज़हर-ए-हवादिस कोई चुपके चुपके और कोई सह न सका तल्ख़ी-ए-एहसास के तीर मेरी आँखें न हुईं गर्दिश-ए-हालात पे नम रो दिया देख के चलती हुई चक्की को कबीर Share on: