बहुत मुख़्तसर सा तआ'रुफ़ है मेरा Admin लिखी शायरी, Qita << दिल से हो कर दिल तलक जाया... ज़िंदगी की हसीन शहज़ादी >> बहुत मुख़्तसर सा तआ'रुफ़ है मेरा न जोश-ए-जुनूँ हूँ न राज़-ए-निहाँ हूँ किताबों में मुझ को कहाँ ढूँडते हो मैं चेहरे पर लिक्खी हुई दास्ताँ हूँ Share on: