रज़ा By Qita << मैं न कहा करता था साक़ी त... ऐ मिरा जाम तोड़ने वाले >> ख़ुदी को ले गए कुछ आदमी इतनी बुलंदी पर तकब्बुर में लगे कहने मक़ाम-ए-किबरिया क्या है अब ऐसी सूरत-ए-हालात में कैसे ये है मुमकिन ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है Share on: