सहरा सहरा ग़म के बगूले बस्ती बस्ती दर्द की आग By Qita << अपने आईना-ए-तमन्ना में दफ़्न हैं साग़रों में हंग... >> सहरा सहरा ग़म के बगूले बस्ती बस्ती दर्द की आग जीने का माहौल नहीं है लेकिन फिर भी जीते हैं साग़र साग़र ज़हर घुला है क़तरा क़तरा क़ातिल है ये सब कुछ मालूम है लेकिन प्यास लगी है पीते हैं Share on: