सनसनाती हुई हवा की तरह By Qita << शौक़-ओ-अरमाँ की बे-क़रारी... रो रहा था गोद में अम्माँ ... >> सनसनाती हुई हवा की तरह यूँ तिरी याद ज़ेहन में आई दिन-ढले दूर जंगलों में कहीं जैसे रोती हो शाम-ए-तन्हाई Share on: