सर्फ़-ए-तस्कीं है दस्त-ए-नाज़ तिरा By Qita << ताब-ओ-ताक़त को तो रुख़्सत... मौत का सर्द हाथ भी साक़ी >> सर्फ़-ए-तस्कीं है दस्त-ए-नाज़ तिरा कम नहीं शोरिश-ए-जिगर फिर भी मेरी आँखों के रू-ब-रू है तू ढूँढती है तुझे नज़र फिर भी Share on: